सोये कहाँ थे, आँखों ने तकिये भिगोये थे......
हम भी कभी किसी के लिए खूब रोये थे!!!!!!!!
न जाने सालों बाद कैसा समां होगा,
हम सब दोस्तों में से कौन कहा होगा,
फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबों मे,
जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबों मे.
दिल से मर कर भी ना निकलेगी वतन की उल्फ़त,
मेरे मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी.
तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने,
हमें इश्क का शौक है आवारगी का नही…!
ए उम्र, माना कि तू बडी हस्ती है।
जब चाहे मेरा बचपन छीन सकती है।
पर गुरूर मत कर अपनी हस्ती पर।
मुझे भी नाज है अपनी मस्ती पर।
गर है दम तो इतनी सी कर खता।
बचपन तो छीन लिया............ !
बचपना छीन कर बता .............।