प्यार वो हम को बेपनाह कर गये,
फिर ज़िन्दगी में हम को तन्नहा कर गये,
चाहत थी उनके इश्क में फ़नाह होने की,
पर वो लौट कर आने को भी मना कर गये।
तकलीफ़ ये नहीं,के तुम्हें अज़ीज़ कोई और है,
दर्द तब हुआ,जब हम नज़रअन्दाज़ किए गए ..
दिल की दहलीज़ पे यादों के दीये रखै हैं
आज तक हमने ये दरवाज़ें खुले रखै हैं
हम पे जो गुज़री, ना बताया, ना बतायेंगे कभी......
कितने ही ख़त अब भी तेरे नाम लिखे रखें है!!!!!!
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी।
क्यों यह हुस्न वाले इतने मिज़ाज़ -ऐ -गरूर होते है
इश्क़ का लेते है इम्तिहान और
खुद तालीम -ऐ -जदीद होते है
आदत बदल सी गई है वक़्त काटने की,
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की।