धूप में कौन किसे याद किया करता है,
पर तेरे शहर में बरसात तो होती होगीl
क्यों यह हुस्न वाले इतने मिज़ाज़ -ऐ -गरूर होते है
इश्क़ का लेते है इम्तिहान और
खुद तालीम -ऐ -जदीद होते है
अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से,
तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की।
" कभी महसूस भी कीजिऐ...तपिश लफ्जों की..."
" लिखते नहीं हम दर्द...वाह वाह सुनने के लिऐ..."
दुनिया का सबसे बेहतरीन रिश्ता वहीं होता है
जहाँ एक हल्की सी मुस्कराहट और छोटी सी माफ़ी से ज़िन्दगी दोबारा पहले जैसी हो जाती है..