प्रेम..... बहुत शक्तिशाली संजीवनी है; प्रेम से अधिक कुछ भी गहरा नहीं जाता। यह सिर्फ शरीर का ही उपचार नहीं करता, सिर्फ मन का ही नहीं, बल्कि आत्मा का भी उपचार करता है। यदि कोई प्रेम कर सके तो उसके सभी घाव विदा हो जाएंगे। तब तुम पूर्ण हो जाते हो--और पूर्ण होना पवित्र होना है। जब तक कि तुम पूर्ण नहीं हो, तुम पवित्र नहीं हो। शारीरिक स्वास्थ्य सतही घटना है। यह दवाई के द्वारा भी सकता है, यह विज्ञान के द्वारा भी हो सकता है। लेकिन किसी का आत्यंतिक मर्म प्रेम से ही स्वस्थ हो सकता है। वे जो प्रेम का रहस्य जानते हैं वे जीवन का महानतम रहस्य जानते हैं। उनके लिए कोई दुख नहीं बचता, कोई बुढ़ापा नहीं, कोई मृत्यु नहीं। निश्चित ही शरीर बूढ़ा होगा और शरीर मरेगा, लेकिन प्रेम यह सत्य तुम पर प्रगट करता है कि तुम शरीर नहीं हो। तुम शुद्ध चेतना हो, तुम्हारा कोई जन्म नहीं है, कोई मृत्यु नहीं है। और उस शुद्ध चेतना में जीना जीवन की संगति में जीना है। जीवन की संगति में जीने का उप-उत्पाद आनंद है......
Read Moreसच तो यह है कि मोह व्यक्तियों से होता है, मोह एक सम्बन्ध है; और प्रेम स्थिति, संबंध नहीं। प्रेम व्यक्तियो से नहीं होता। प्रेम एक भावदशा होती है। जैसे दीया जले तो जो भी दीये के पास से निकलेगा उस पर रौशनी पड़ेगी। वह कुछ देख-देख कर रौशनी नहीं डालता कि यह अपना आदमी है, जरा रौशनी; कि यह अपना चमचा है, जरा ज्यादा; कि यह तो पराया है, मरने दो, जाने दो अँधेरे में। रौशनी जलती है तो सब पर पड़ती है। फूल खिलता है, सुगंध सबको मिलती है कोई मित्र नहीं, कोई शत्रु नहीं।
प्रेम एक अवस्था है, सम्बन्ध नहीं। मोह एक सम्बन्ध है। प्रेम तो बड़ी अदभुत बात है। जब तुम्हारे भीतर प्रेम होता है तो तुम्हारे चारों तरफ प्रेम की वर्षा होती है- जिसको लूटना हो लूट ले; जिसको पीना हो पी ले; जो पास आ जाये उसकी ही झोली भरेगी; जो पास आ जाये उसकी ही प्याली भर जाएगी। फिर न कोई पात्र देखा जाता है, न अपात्र। फिर ना कोई अपना है ना कोई पराया।
प्रेम तुम्हारी आत्मा का जाग्रत रूप है। और मोह तुम्हारी आत्मा की सॊइ हुई अवस्था है। मोह में तुम अपने से दुखी हो। इसलिए सोचते हो कि शायद दुसरे के साथ रह कर शायद सुख मिल जाये
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Bhut thak gya tha parwah krte krte..
Jab se laparwah hua hu…aaram sa hai..
एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था। उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी। क्योकि जब वह छोटा था। तब ही उसके पिता की मृत्यु हो गयी थी। उसकी माँ घर घर जाकर बर्तन मांज कर और सिलाई करके किसी न किसी तरह अपने घर का गुजारा करती थी। वह लड़का अक्सर चुप चुपचाप ही बैठा रहता था। एक दिन उसके अध्यापक ने उसे एक पत्र देते हुए कहा – तुम इसे अपनी माँ को दे देना। उसने घर आकर वह पत्र अपनी माँ को दे दिया।
उसकी माँ उस पत्र को पढ़कर मन ही मन मुस्कुराने लगी। बेटे ने अपनी माँ से पूछा – माँ इस पत्र में क्या लिखा है। माँ ने मुस्कुराते हुए कहा – बेटा इसमें लिखा है की आपका बेटा कक्षा में सबसे होशियार है। इसका दिमाग सभी बच्चो से तेज है। हमारे पास ऐसे अध्यापक नहीं है। जो आपके बच्चे को पढ़ा सके। इसलिए आप इसका एडमिशन किसी ओर स्कूल में करवा दीजिए।
यह सुनकर वह लड़का खुश हो गया। और साथ ही साथ उसका कॉन्फिडेंस बहुत ही बढ़ गया। वह मन ही मन सोचने लगा की उसके पास कुछ खाश है। जिसके कारण वह इतना बुद्धिमान और तीव्र बुद्धि वाला है। अगले ही दिन उसकी माँ ने उसका एडमिशन दूसरे स्कूल में करवा दिय Read More
एक दिन जब ऑफिस के सभी कर्मचारी ऑफिस पहुँचे, तो उन्हें दरवाजे पर एक पर्ची चिपकी हुई मिली. उस पर लिखा था – “कल उस इंसान की मौत हो गई, जो कंपनी में आपकी प्रगति में बाधक था. उसे श्रद्धांजली देने के लिए सेमिनार हाल में एक सभा आयोजित की गई है. ठीक ११ बजे श्रद्धांजली सभा में सबका उपस्थित होना अपेक्षित है.”
अपने एक सहकर्मी की मौत की खबर पढ़कर पहले तो सभी दु:खी हुए. लेकिन कुछ देर बाद उन सबमें ये जिज्ञासा उत्पन्न होने लगी कि आखिर वह कौन था, जो उनकी और कंपनी की प्रगति में बाधक था?
११ बजे सेमिनार हाल में कर्मचारियों का आना प्रारंभ हो गया. धीरे-धीरे वहाँ इतनी भीड़ जमा हो गई कि उसे नियंत्रित करने के लिए सिक्यूरिटी गार्ड की व्यवस्था करनी पड़ी. लोगों का आना लगातार जारी था. जैसे-जैसे लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी, सेमिनार हॉल में हलचल भी बढ़ती जा रही थी. सबके दिमाग में बस यही चल रहा था : “आखिर वो कौन था, जो कंपनी में मेरी प्रगति पर लगाम लगाने पर तुला हुआ था? चलो, एक तरह से ये अच्छा ही हुआ कि वो मर गया.”
जैसे ही श्रद्धांजली सभा प्रारंभ हुई, एक-एक करके सभी उत्सुक और जिज्ञासु कर Read More