कितना दूर निकल गए रिश्ते निभाते निभाते,खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते,लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में,और हम थक गये मुस्कुराते मुस्कुराते.
झूठ कहते हैं कि संगत का हो जाता है असर.....
काँटों को तो आज तक महकने का सलीका ना आया...!!
दिल के राज़ पहुँच गये ग़ैरों तक,
अपनो से बस मशवरा किया था.!!
इश्क की बहुत सारी उधारियां है तुम पर.. !चुकाने की बात करो तो कुछ किश्तें तय कर लें…